Description
“यार पापा” दिव्य प्रकाश दुबे द्वारा लिखित एक संवेदनशील और दिल छू लेने वाली कहानी है। ये किताब एक बेटे और उसके पिता के बीच के रिश्ते को उस नजर से दिखाती है, जहाँ वे सिर्फ बाप-बेटा नहीं, बल्कि दोस्त (यार) भी हैं।
कहानी में दिखाया गया है कि कैसे समय के साथ पिता-पुत्र के रिश्ते बदलते हैं — कभी दूरी आती है, कभी समझ बढ़ती है, और कहीं न कहीं एक गहराई होती है जो सब कुछ जोड़ कर रखती है।
दिव्य प्रकाश दुबे की लेखनी की सबसे खास बात है कि वह आम ज़िंदगी की बातों को बेहद खास अंदाज़ में लिखते हैं। यह किताब भी उन्हीं भावनाओं से भरी हुई है — जो आपको कभी मुस्कुराएगी, तो कभी आपकी आँखें नम कर देगी।
इस किताब को क्यों पढ़ें?
- पिता-पुत्र के रिश्ते को दोस्ती के रूप में दिखाती है
- भाषा सरल, दिल से जुड़ने वाली है
- हर पीढ़ी के पाठकों के लिए उपयुक्त
- रिश्तों और भावनाओं को समझने में मदद करती है
- दिव्य प्रकाश दुबे की लेखनी का अनोखा अनुभव
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